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उद्वेग उत्साहको / बद्रीप्रसाद बढू

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मेरो जन्म हुँदा यहाँ वीपिहरू सत्ता सम्हाल्दै थिए
साह्रा देश घुमी घुमी हृदयमा तस्बीर खिंच्दै थिए /
मैले सास लिएँ स्वतन्त्र नभको नेपालको वायुको
यो जान्दा मनले भयो हृदयमा उद्वेग उत्साहको !