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एक आँगन में दो आँगन हो जाते हैं / मुनव्वर राना
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एक आँगन में दो आँगन हो जाते हैं
मत पूछा कर किस कारन हो जाते हैं
हुस्न की दौलत मत बाँटा कर लोगों में
ऐसे वैसे लोग महाजन हो जाते हैं
ख़ुशहाली में सब होते हैं ऊँची ज़ात
भूखे-नंगे लोग हरिजन हो जाते हैं
राम की बस्ती में जब दंगा होता है
हिन्दू-मुस्लिम सब रावन हो जाते हैं