भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक कोई तीर अब ऐसा लगाना चाहिए / शिवशंकर मिश्र

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:29, 22 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवशंकर मिश्र |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक कोई तीर अब ऐसा लगाना चाहिए
जो लगे दिल पर कोई ऐसा निशाना चाहिए
अब नहीं जंगल, नहीं अब बाघ-चीते ही मगर
आदमी को आदमी से अब बचाना चाहिए