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एक बार जीवन में आप गर वफ़ा करते / कांतिमोहन 'सोज़'
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एक बार जीवन में आप गर वफ़ा करते ।
शर्तिया हुज़ूर अपने हाल पर हँसा करते ।।
काश हाले-दिल होता दास्ताने-जांबाज़ी
शौक़ से जिसे शायद आप भी सुना करते ।
आपके लिए यूूँ तो कुफ़्र था वफ़ा करना
ज़ायका बदलने को एक मर्तबा करते ।
जानते थे हम दिल में हमपे जो गुज़रना था
आपका तो पेशा था आप तो दवा करते ।
राहते-ग़मे-जां थी हर मरज़ का दरमां थी
मौत ख़ूब थी माना ज़िन्दगी का क्या करते ।
हम कहाँ के दाना थे ठेठ आशिक़ाना थे
ऐसे गावदी कब थे आपसे गिला करते ।
ज़िन्दगी ने वैसे तो कुछ कमी नहीं रक्खी
सोज़ आप किस मुँह से मौत की दुआ करते ।।