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एक मृत्युगान / नवारुण भट्टाचार्य

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मैंने तो नहीं की भूल
वही लाई है- फूल।

कुछ टूटे पत्ते थे फूलों के साथ
फूल वाला बैठा था थिगली वाला छाता था
आँसुओं से भीग गए सर के बाल
मैंने तो नहीं की भूल
वही लाई है- फूल।

फूल आए गाड़ी पर सवार
फूल आए मुँह करके बंद फूलों में समा गए फूल
फूल आए मरे -मरे फूलों का पल्ला पकड़े
फूल आए ढँक गए मोम की गुड़िया को।
मैंने तो नहीं की भूल
वही लाई है- फूल।

पँखुरियाँ लिपटी थीं आग की लपटों में
सुगंध समाई थी टाट बुनने की मशीन में
आग के पत्ते और लता आग की आकुलता
छुआ ज्यों ही पिघल गई मोम की गुड़िया
मैंने तो नहीं की भूल
वही लाई है- फूल।