भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक याद / सजीव सारथी

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:06, 3 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सजीव सारथी |संग्रह=एक पल की उम्र लेकर / सजीव सार…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गाँव के स्कूल की
वो पुरानी सी इमारत,
बेरंग दीवारें,
बड़े से अहाते में,
खोह-खोह खेलती लड़कियां,
और लड़के मैदान में लड़ते,
जहाँ पढाते थे एक मास्टरजी,
जिनके हाथ में होती थी,
एक बड़ी सी छड़,
एक दरबान,
जो साँस लेना भूल सकता था,
मगर घंटा बजाने में
कभी चूक नही करता था,

वापसी में हम खेतों से होकर जाते थे,
जहाँ पानी भरा रहता था,
कीचड़ से सने पाँव लेकर,
कच्ची पगडंडियों से गुजरते थे,
उन कदमों के निशां,
अभी मिटे नही हैं...