भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक सजल संवेदना-सी / सुशान्त सुप्रिय

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:23, 27 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुशान्त सुप्रिय |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उसे आँखों से
कम सूझता है अब
घुटने जवाब देने लगे हैं
बोलती है तो कभी-कभी
काँपने लगती है उसकी ज़बान
घर के लोगों के राडार पर
उसकी उपस्थिति अब
दर्ज़ नहीं होती
लेकिन वह है कि
बहे जा रही है अब भी
एक सजल संवेदना-सी
समूचे घर में --
                 अरे बच्चों ने खाना खाया कि नहीं
                 कोई पौधों को पानी दे देना ज़रा
                 बारिश भी तो ठीक से
                 नहीं हुई है इस साल