भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक सहारा बाबूजी / एस. मनोज

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:50, 3 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एस. मनोज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatMaithiliRac...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जीवन के हर गम में, तम में
एक सहारा बाबूजी
कठिन काल, गहरे मातम में
एक सहारा बाबूजी

सर्जनरत माता मरियम का
एक सहारा बाबूजी
अंकुर, कोंपल, किसलय सबका
एक सहारा बाबूजी

छू ले हाथ गगन को कैसे
एक सहारा बाबूजी
कटे न जीवन जैसे-तैसे
एक सहारा बाबूजी

लक्ष्य हिमालय शिखर सरीखा
एक सहारा बाबूजी
दुर्गम पथ पर चलना सीखा
एक सहारा बाबूजी

अंधकार जब कभी डराता
एक सहारा बाबूजी
तूफानों से मन घबराता
एक सहारा बाबूजी

नीति, न्याय, सत पथ पे चलना
एक सहारा बाबूजी
तप्त लौह बन साँचे ढलना
एक सहारा बाबूजी।