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एकरा तौं अवला नै समझो / विजेता मुद्‍गलपुरी

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एकरा तों अवला नै समझो, अब सगरो एकरे चलती छै

ई औरत के अवलापन से, बल्हों लाभ उठाबै छै
बे मतलब के भीर-भीर के, बरका भीड़ जुटाबै छै
मर्दो से ई मर्द बनै छै अल्हा जकतें फानै छै
पुलिस-पंच केकरो देखै छै अवला मकतै कानै छै
एकरा अवला कहनिहार के सब से बरकी गलती छै
एकरा तों अवला नै समझो, अब सगरो एकरे चलती छै

जेकरा कि अप्पन घर रहते कैझौं रात बिताना छै
ई अवला जेकरा खौंछा में कोट-कचहरी-थाना छै
सज्जन के नाकोदम कैने रंगदार लड़ै छै एकरा ले
अवला के ढ़ोग रचाबै ते सरकार लड़ै छै एकरा ले
कानून बकै छै बस्ती में सब एकरा कहै ममलती छै
एकरा तों अवला नै समझो, अब सगरो एकरे चलती छै

कभी तारिका सन तरकै तब सासो के ई सास लगै
ई बान्है बावन बियार जब तकरै तब उनचास लगै
साजन नौकर से बद्तर छै दिन-रात हुजूरी बजबै छै
एकरा पर नाज भला कि, बस्ती एकरे चलतें लजबै छै
तारीफ कही त ऐसन की, कहियो नै मानै गलती छै
दुल्हे के गलती गलती छै, सासे के गलती गलती छै
एकरा तों अवला नै समझो, अब सगरो एकरे चलती छै