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ओ गान्ही जी ओ गान्ही जी / प्रदीप शुक्ल

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कहाँ छुपे हौ ओ गान्ही जी
तनी निहारौ ओ गान्ही जी!!

तुम्हरे नाम प भगमच्छरु है
कहाँ बिलाने हौ गान्ही जी!!

हाँथे मा तस्वीर तुम्हारि है
कमर मा कट्टा है गान्ही जी!!

सत्य अहिंसा सदाचार की
करैं सफाई ओ गान्ही जी!!

सबसे पीछे खड़ा बुधैय्या
वहै पुकारै ओ गान्ही जी!!

वहिकी कोउ सुनै वाला ना
ओ गान्ही जी ओ गान्ही जी!!