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ओ रघुबर न कोउ विपत्ति के साथी / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

ओ रघुबर न कोउ विपत्ति के साथी
एक विपत्ति राजा दशरथ पड़ गई
राम लखन वनवासी ओ रघुबर...
दूसरी विपत्ति श्री राम पे पड़ गई
वन-वन फिरत उदासी। रघुबर...
तीसरी विपत्ति रावण पे पड़ गई
लंका जली दिन राती। रघुबर...
चौथी विपत्ति रावण पे पड़ गई
थाहि लगी जन घाती। रघुबर...