भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ओळ्यूं-7 / पूर्ण शर्मा पूरण

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:00, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उकळती दुपारी मांय
म्हारै साथै
तपंणी नीं चावै
तारां छाई रात मांय
रमंणी नीं चावै
तौ बता
किंयां अवेरूं थारा पांवडा
थूं
छिंन-एक ई
थमंणी नीं चावै।