भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कइसे बताईं बेबसी अँखियन का लोर के / वैदेहीशरण 'बनियापुरी'
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:31, 6 सितम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वैदेहीशरण 'बनियापुरी' |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
कइसे बताईं बेबसी अँखियन का लोर के,
के ले गइल करेज के कनखा खँखोर के।
कतना बनल आकाश में आशा के ताजमहल,
अब बुझ गइल चिराग सब सोहिला सहोर के,
पपनी के पीर बढ़ गइल प्रीतम का गाँव में,
देखल गुनाह हो गइल बेबस चकोर के।
कश्ती डूबल सनेह के संदेह झील में,
सपना सहेजल झूठ बा सावन का भोर के।
जिनगी जवान नाहके जंजाल में फँसल,
अब कब तलक बइठल रहब रहिया अगोर के।
बेसब्र दिल के इम्तहाँ कतना कोई करी,
तोहफा में दर्द बा मिल आँसू चभोर के।