भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कटोरनि पियली कोसिला रानी, अउरो सुमिन्त्रा रानी हे / मगही

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:47, 11 जून 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कटोरनि<ref>कटोरे-कटोरे</ref> पियली कोसिला रानी, अउरो सुमिन्त्रा रानी हे।
ए ललना, सिलि<ref>सिल, सिलौट</ref> धोइ पियलन केकइ रानी, तीनों रानी गरभ से हे॥1॥
कोसिला रानी के मुँह पियराएल, देह दुबराएल<ref>मुँह पीला होना और देह दुबलाना, गर्भ-धारण का चिह्न है।</ref> हे।
ए ललना, दसरथ मनहिं अनन्दे, कोसिला जरि<ref>जड़ रोप दिया, वंश बचा लिया</ref> रोपली हे॥2॥
आधी राति बीतले पहर राति बीतले हे।
ए ललना, कोसिला के भेल<ref>हुए</ref> राजा रामचंदर, सुमित्रा के लछुमन हे॥3॥
ए ललना, ककइ के भरथ भुआल,<ref>भूपाल</ref> तीनों महल सोहर हे॥4॥
दुअरा से बोलथिन<ref>बोलते हैं</ref> राजा दसरथ, सुन ए कोसिला रानी।
ए रानी जी, कउन<ref>कौन</ref> बरत रउरा<ref>आप</ref> कएल कि राम फलवा पाएल हे॥5॥
सउरी<ref>सौरीघर</ref> से बोलथिन कोसिला रानी, सुन राजा दसरथ जी।
ए राजा, बरत कइली एतवार, त राम फल पइली हे॥6॥
कातिक मासे हम नेहइली, तुलसी दिया बरली<ref>बाला, जलाया</ref> हे।
ए राजा, भूखल<ref>भूखा</ref> बराम्हन जेववली,<ref>जेवनार कराया, भोजन कराया</ref> त राम फल पइली हे॥7॥
माघ मासे नेहइली,<ref>स्नान किया</ref> अगनियाँ<ref>अग्नि</ref> न तपली<ref>तापना, सेवन करना</ref> हे।
ए राजा, एहो कस्ट सहली, राम फल पइली हे॥8॥
बैसाखहिं मासे नेहइली सुरूज गोड़ लगली<ref>गोड़ लगना = चरण पर गिरना, प्रणाम करना</ref> हे।
ए राजा, टूअर<ref>मातृ-पितृहीन</ref> भगिना का पालली, त राम फल पइली हे॥9॥
दुअरा से बोलथिन राजा दसरथ, सुन ए कोसिला रानी हे।
ए रानी, सेर जोखि<ref>तौलकर</ref> सोनवा लुटाएब, पसेरी जोखि रूपवा<ref>सम्पूर्ण, समग्र</ref> हे॥10॥
ए रानी जी, सँउसे अजोधया लुटएबो, त राम के बधइया में॥11॥
सउरी से बोलथिन केकइ रानी, सुन राजा दसरथ।
ए राजा, कोसिला के भेल रामचंदर, सुमित्रा के लछुमन हे॥12॥
ए राजा, केकइ के भरथ भुआल, जानि-बुझि<ref>समझ-बूझकर</ref> अजोधेया लुटइह।
ए राजा, रामजी लिखल बनवास, अजोधेया मत लुटइह॥13॥
सउरी से बोलथिन कोसिला रानी, सुन राजा दसरथ जी।
राजा, छुटले<ref>छूट गया, मिट गया</ref> बँझिनियाँ के नाम, बलइए से<ref>बला से</ref> राम बन जइहें,
बन से लवटि अइहें हे॥14॥

शब्दार्थ
<references/>