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कतना कहियो हम अपन कहानी / सिलसिला / रणजीत दुधु

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कतना कहियो हम अपन कहानी
सर के ऊपर बहे लगलो पानी

घर में ठंडा हे चुल्हा आउ चउका
कोय न´ छोड़े ठूल करे के मउका
पानियो ले न´ पुछे अपन धानी
कतना कहियो हम अपन कहानी

माँगे बुतरू खेलउना, मेहरी साड़ी
ठेललो पर न´ टसके हमर गाड़ी
याद आवे हमरा अपन नानी
कतना कहियो हम अपन कहानी

माँगलुँ रोटी मिलल हमरा लाठी
मार खा, छोटा होल कदकाठी
माटी में मिलल हमर जवानी
कतना कहियो हम अपन कहानी

न´ कर सकऽ ही अब तो हम खेती
बियाहे जुकुर होल मुनिया बेटी
हमरा ले इंगोरा होल बानी
कतना कहियो हम अपन कहानी

काहे न´ ला देला तो टी. भी.
छोड़ नइहर चल गेलखुन बीबी
सरकार चलनी से भरवे पानी
कतना कहियो हम अपन कहानी

जब हो गेलो मँहगाई तिगुना
तब जाके, दरमाह होल दोगुना
कइसे बनइबइ बुतरूवन ले ज्ञानी
कतना कहियो हम अपन कहानी