भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कदिया ना गये राजा नौकरी / हरियाणवी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:08, 17 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कदिया ना गये राजा नौकरी कदिया ना कटाया अपना नाम
रसीले बन में एकले।
कदिया ना भेजी राजा बाप के कदिया ना आये तांगा जोर
रसीले बन में एकले।
कदिया ना बैठे राजा चौंतरे कदिया न परखी मेरी चाल
रसीले बन में एकले।
कदिया न बुनी राजा जेवड़ी कदिया ना बुरी मेरी खाट
रसीले बन में एकले।
अब के तो जाऊं गोरी नौकरी अब के तो कटाऊं अपना नाम
रसीले बन में एकले।
अब के तो भेजूं गोरी बाप के अब के तो ल्याऊं तांगा जोर
रसीले बन में एकले।
अब के तो बैठून गोरी चौंतरे अब के तो परखूं तेरी चाल
रसीले बन में एकले।
अब के बाटूं गोरी जेवड़ी अब के तो बुनूं तेरी खाट
रसीले बन में एकले।