भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

करवटों का हिसाब रखना / चंद्रभानु भारद्वाज

Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:43, 9 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्रभानु भारद्वाज |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> नीद की इक…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नीद की इक किताब रखना;
करवटों का हिसाब रखना।

पत्थरों का मिजाज़ पढ़ना,
हाथ में फ़िर गुलाब रखना।

हर डगर में सवाल होंगे,
हर कदम पर जवाब रखना।

धड़कनों में जूनून कोई,
साँस में इन्कलाब रखना।

आग रखना जली जिगर में,
आँख झेलम चनाब रखना।

वक्त सबको सिखा रहा है,
बस जड़ों में तेजाब रखना।

छोड़ अब 'भारद्वाज' अपने,
चेहरे पर नकाब रखना।