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कर्म / दीनदयाल शर्मा

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सर सर सर सर हवाएँ बहतीं
झर झर झर बहता झरना

हिम्मत जो रखता है हरदम
उसको किसी से क्या डरना

कड़ कड़ कड़ कड़ बिजली चमके
गड़ गड़ ओलों का गिरना

कायरता कमजोरी होती
उसको पड़ता है मरना

दड़बड़ दड़बड़ बच्चे दौड़े
जीवन में है कुछ करना

जैसे कर्म करेंगे जग में
पड़ेगा वैसा ही भरना....