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कल के फेरा में आय के मत गमावऽ / सिलसिला / रणजीत दुधु

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कल के फेरा में आय के मत गमावऽ,
सगरो भरल हे खुशी लुफ्त उठावऽ।

भोरे उठके बीबी के हलो डार्लिंग
बुतरूवन बड़कन के कहऽ गुड मार्निंग
हँस-हँस के सबसे नजरिया मिलावऽ
कल के फेरा में आय के मत गमावऽ।

सुख जइतो बगिया तऽ फूल न´ खिलतो
धन के फेरा में पियार न´ मिलतो
जे दूर हो ओकरा परमेम से पास बोलावऽ
कल के फेरा में आय के मत गमावऽ।

तों अपन दिल के रखऽ हरदम खोल के
जिनगी कट जइतो तोहर हँस बोल के
न´ कोय मिलो तऽ गीत के गुनगुनावऽ
कल के फेरा में आय के मत गमावऽ।

सभे चिन्हलकन से लेते रहऽ चुसकी
पर घुर के न´ करिहा केकरो हिसकी
को´ कुछ कहियो दे तऽ मन में न´ लावऽ
कल के फेरा में आय के मत गमावऽ।

बतवऽ हियो तोरा नुसखा बारीक
दोसरो के खुशी में हो जा शरीक
सबके साथे अपन मन के गुदगुदावऽ
कल के फेरा में आय के मत गमावऽ।

ठहाका मार हँसऽ न´ होतो रोग
एक-एक पल के रोज करला तों भोग
जिनगी के अनमोल सुख तों अपनावऽ
कल के फेरा में आय के मत गमावऽ।