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कवन भगितते रहै प्यारो पाहुनो रे / रैदास

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कवन भगितते रहै प्यारो पाहुनो रे ।
घर घर देखों मैं अजब अभावनो रे ॥टेक॥
मैला मैला कपड़ा केता एक धोऊँ ।
आवै आवै नींदहि कहाँलों सोऊँ ॥१॥
ज्यों ज्यों जोड़ै त्यों त्यों फाटै ।
झूठै सबनि जरै उड़ि गये हाटै ॥२॥
कह रैदास परौ जब लेख्यौ ।
जोई जोई, कियो रे सोई सोई देख्यौ ॥३॥