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कविता से ज़्यादा / मदन गोपाल लढा

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कौन कहता है
मैंने कुछ नहीं लिखा
इन दिनों।

कविता में शब्द होते हैं
प्राण
जीवन का आधार।

मैंने रचा है
जीवन !

अब सोच
मेरा रचाव..
कविता से
कुछ ज़्यादा ही होगा।


मूल राजस्थानी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा