भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कसम राम की / यादराम 'रसेंद्र'

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:49, 6 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यादराम 'रसेंद्र' |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दूध देखकर, आँख फाड़कर,
बोली मेरी नानी,
‘अरे दूधिए, हद है भैया,
दूध बनाा पानी।’
हाथ जोड़कर कहे दूधिया,
‘‘कसम राम की, मैया
मैंने नहीं मिलाया, पानी
अधिक पी गई गैया!’