भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कहाँ कटी थी रात, पूछने आया है / सूफ़ी सुरेन्द्र चतुर्वेदी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:24, 16 नवम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूफ़ी सुरेन्द्र चतुर्वेदी |अनुव...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कहाँ कटी थी रात, पूछने आया है ।
किसने छोड़ा साथ, पूछने आया है ।

चौराहों पर चाँदी की तलवारों से,
कहाँ कटाए हाथ, पूछने आया है ।

कहाँ कटा कर हाथ ये झोली फैलाई,
कहाँ मिली ख़ैरात पूछने आया है ।

बदन बेचकर बाज़ारों से जब लौटे,
कहाँ गए जज़्बात पूछने आया है ।

झूठे और मक्कार बादलों से आकर,
कब होगी बरसात, पूछने आया है ।

ना जाने क्या बात जानना चाहे है,
ना जाने क्या बात पूछने आया है ।

जो तूफ़ान हवाओं के कन्धे पर है,
वो मेरी औक़ात पूछने आया है ।