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का करबे संगी / नारायण बरेठ
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का करबे संगी कइसनों करके जी लेबो ग,
कभू रइबो लाघन कभू पसिया पी लेबो ग ।
फरी तेल बिना तो तन निमगा भुसड़ीयाय रथे,
त खाय बर कहां ले हम डालडा घी लेबो ग ।
धन तो कान हे त कथा ल सुने बर मिलिस,
हमर मेर पैसा नइये त का आरती लेबो ग ।
खोदसना मार के देख झोइला बांचे हावय,
धोखा म झन रइहा समे म भभकी लेबो ग।
अराई कस कोंचट हे घर के दसना पीढा ह,
बताया चार पहर हम कइसे झपकी लेबो ग,
ले न ग एको कोहा खोभिहा के आउ मार,
जीयत-जागत रड़बो त तोर नाव ली लेबो ग।