भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

का हो टुकुर टिटिहिरी / दीपक शर्मा 'दीप'

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:58, 21 सितम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीपक शर्मा 'दीप' |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

का हो टुकुर टिटिहिरी!
कँहवा से सुर लगऽवलू?
बदरा छछात बाटें
अन्हरात बा सिवनवा।
रोवत रहल गुजऽरिया
हँसी के ठुमुक रहलि बा
कजरा लगा के निकसि
अँगना में फूल दुलहिन
छम छम बजे पयऽलिया
करधन कसी कमऽरिया।
मारें पटाँग बिटिया
झूला पड़ऽल रे निबिया
केहू बनावे केसिया
केहू खेलावे बिबिया
केतना सता के सबकय
अइले रे तैं सवनवा।
का हो टुकुर टिटिहिरी!
कहँवा से सुर लगऽवलू?
बदरा छछात बाटें
अन्हरात बा सिवनवा।