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काँटों का फूल से मिलन / जगदीश चंद्र ठाकुर

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काँटों का फूल से मिलन
है अजीब ये समीकरण |
बादल के नाम पर आँधियां चलीं
सरसों के खेत में बिजलियाँ गिरीं
आंसुओं से है भरा चमन
है अजीब ये समीकरण |
खाली हैं आज साधुओं की झोलियां
निकल रहीं तिजोरियों से मात्र गोलियां
बच्चों के सर पे ये कफन
है अजीब ये समीकरण |
बरगद के पेड़ पर मेढ़क चढे
सूरज की जगह आज काजल उगे
नाव और नदी का ये चयन
है अजीब ये समीकरण |