भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुंज पधारो रंग-भरी रैन / रसिक बिहारी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:09, 30 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसिकबिहारी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatP...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुंज पधारो रंग-भरी रैन॥
रंग भरा दुलहिन रग भरे पीया स्यामसुंदर सुख दैन॥
रंग-भरी सेज रचो जहाँ सुन्दर रंग-भरयो उलहत मैन।
 'रसिकबिहारी' प्यारी मिलि दोउ करौ रंग सुख-चैन॥