भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

के रे लेल उबटन, के रे लेल तेल / मगही

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:32, 14 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मगही |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatMagahiR...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

के<ref>कौन</ref> रे लेल उबटन, के रे लेल तेल।
के रे लेल थारी<ref>थाली</ref> भरी हरदी<ref>हल्दी</ref> कस्तूर<ref>कस्तूरी</ref>॥1॥
सेते<ref>यहाँ</ref> आवऽ<ref>आओ</ref> येते आवऽ, बइठऽ, दुलरइता।
लगतो<ref>लगेगा अथवा लगाया जायेगा</ref> अहो दुलहा, हरदी कस्तूर॥2॥

शब्दार्थ
<references/>