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कोई कहियौ रे प्रभु आवनकी / मीराबाई
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कोई कहियौ रे प्रभु आवनकी
आवनकी मनभावन की।
आप न आवै लिख नहिं भेजै
बाण पड़ी ललचावनकी।
ए दो नैण कह्यो नहिं मानै
नदियां बहै जैसे सावन की।
कहा करूं कछु नहिं बस मेरो
पांख नहीं उड़ जावनकी।
मीरा कहै प्रभु कब रे मिलोगे
चेरी भै हूं तेरे दांवनकी।