भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कौन बाबा की व्यथा बताये! / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:40, 29 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=गीत-वृंदावन / ग...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


कौन बाबा की व्यथा बताये!
आँसू बहे न सिसकी निकले छाती रूँधती जाये

'पथ पर सदा टकटकी बाँधे
अब वे रहे सूख कर आधे
तेल बिना दीपक दम साधे
ज्यों बुझने पर आये

'हरि कब लौटेंगे?" घर-घर में
लोग पूछते आकुल स्वर में
बोल न कुछ पाते उत्तर में
रहते शीश झुका ये
'
प्रभु दुखभरे ये वचन सुनकर
वीतराग न रह सके पल भर
गहन व्यथा से तड़पा अंतर
नयन अश्रू भर लाये

कौन बाबा की व्यथा बताये!
आँसू बहे न सिसकी निकले छाती रूँधती जाये