भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ख़ुफ़िया चीज़ें / कंस्तांतिन कवाफ़ी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:41, 9 मई 2012 का अवतरण ('{{KKRachna |रचनाकार=कंस्तांतिन कवाफ़ी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> क...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किसी को यह बरामद करने की कोशिश मत करने दो
कि मैं कौन था
उस सब से जो मैंने कहा और किया ।
अड़चन थी वहाँ जिसने बनावट बदल दी
मेरे जीवन के लहज़े और करनी की ।
अक्सर वहाँ अटकाव था एक
रोक लेने को मुझे जब मैं बस बोलने बोलने को था ।
मेरी नितान्त अलक्षित करनी
मेरे ख़ुफ़िया लेखन से -
मैं समझा जाऊंगा केवल इन सबसे ।
लेकिन शायद यह इस जानलेवा छानबीन के लायक नहीं है
खोज लेने के लिए कि असल में कौन हूँ मैं ।
बाद में । एक ज़्यादा मँजे-खिले समाज में
बिल्कुल मेरे जैसा बना कोई और
दिखाई देगा ही फिरता छुट्टा ।

 
अँग्रेज़ी से अनुवाद : पीयूष दईया