भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ख़ुशबुओं से चमन भरा जाए / हस्तीमल 'हस्ती'

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:57, 26 जनवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हस्तीमल 'हस्ती' |संग्रह=प्यार का...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ख़ुशबुओं से चमन भरा जाए
काम फूलों सा कुछ किया जाए

ग़म पे यूँ मुस्कुरा दिया जाए
वक़्त भी सोचता हुआ जाए

हर हथेली में ये लकीरें हैं
क्या किया जाए क्या किया जाए

फूल आगाह करते हैं हमको
फूलों में फूल सा रहा जाए

अब तो कपड़ों में भी दिखे नंगा
कैसे इंसान को ढँका जाए

सबकी चिंता है उसको मेरे सिवा
आज रब से ज़रा लड़ा जाए