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ख़ुशी के आंसू / शांति सुमन

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उनके घरों की तस्वीरें हंसती हैं,
अपने घर की दीवारें रोती हैंं ।

जोड़ रही उँगली पर आधे
अपने बीते दिन को
कितने कब भूखे सोए बच्चे
लगे गडाँसे मन को
बिना जले वह धुआँ -धुआँ होती है ।
 
दिनों से दीखा कुछ नहीं कभी
ख़ुशी के आंसू जैसा
दरवाज़े तक बहुत उड़ा
है काग़ज़ सांसों का
बदली हुई हवा नारे बोती है ।

नींदों भरे सपनों से उसको
हासिल नहीं हुआ जो
संगीत के उम्मीद के
जिला -जिला रखती जो
कठिन हौंसले ही मन के मोती हैं ।