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खाई-खाई रे / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

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झूठ जहाँ हो गौरवशाली
सच होय धाराशाही रे
धंसी जाय ऊ देश रसातल
लूटै पाई-पाई रे॥

गाफिल जहाँ शासन सत्ता छै
कैन्हें नी मचै तबाही रे
जहाँ भेड़िया भेड़ चिबाबै
कैन्हेंनी हुवै रूसवाई रे।

गरिमा घटै जहाँ विद्या रऽ
खल रऽ होय गुरूवाई रे
‘मथुरा’ धन्यवाद देशऽ केॅ
मिटै नै खाई-खाई रे।