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खुशबू / स्मिता झा
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काँपती
सिरहती
थरथराती...........
ओस भींगी पंखुड़ियों को
धूप की पहली किरण ने
इस तरह से
छुआ
कि फूल के सारे दुख
सारी वेदनाएँ
खुशबू बनकर बह गईं.......