भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खेतों-खलिहानों की,फसलों की खुशबू / ओमप्रकाश यती

Kavita Kosh से
Omprakash yati (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:42, 27 फ़रवरी 2012 का अवतरण ('{{kkGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = ओमप्रकाश यती |संग्रह= }} {{KKcatGhazal}} <poem> ख...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

साँचा:KkGlobal

साँचा:KKcatGhazal


खेतों- खलिहानों की, फ़सलों की खुशबू
लाते हैं बाबूजी गाँवों की खुशबू

गठरी में तिलवा है ,चिवड़ा है,गुड़ है
लिपटी है अम्मा के हाथों की खुशबू

मंगरू भी चाचा हैं, बुधिया भी चाची
गाँवों में ज़िन्दा है रिश्तों की खुशबू

बाहर हैं भइया की मीठी फटकारें
घर में है भाभी की बातों की खुशबू

खिचड़ी है,बहुरा है,पिंड़िया है,छठ है
गाँवों में हरदम त्यौहारों की खुशबू