Last modified on 8 सितम्बर 2018, at 02:03

गंगाक कछेरमे / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

Jangveer Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:03, 8 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशाकर |अनुवादक= |संग्रह=ककबा करै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


गंगाक कछेरमे ठाढ़ भऽ देखि रहल छी
सोहाओन
आ एकटा टटका दृश्य
देखाइछ-
खाली पानि... पानि... पानि...।

कने कालक बाद
देखाइछ-
हेलैत माछ
महीस
आ महीसबार।

कनी कालक बाद
दृश्य
फेर बदलैछ
देखाइछ-
दूरसँ अबैत एकटा डेंगी
पतवारसँ नाह खेबैत मलाह
सुनाइछ-
ओकर गीत
पानिक सोर
गीत पर ताल दैत अछि
नहा जाइछ हमर मोन
धन्य भऽ गेलहुँ गंगा
तोहर कछेरमे ठाढ़ भऽ