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गाँठ में बाँध लाई थोड़ी सी कविता / शैलजा सक्सेना

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आँचल की गाँठ में,
हल्दी-सुहाग में,
साथ-साथ बाँध लायी अम्माँ की कविता!
चावल-अनाज में,
खील की बरसात से,
थोड़ी सी चुरा लायी जीवन की सविता!
मढ़िया की भीत पे,
सगुन थाप प्रीत से,
सीने से लगाय लायी थोड़ी सी कविता।
मैया ने अक्षर दिये,
बापू ने भाषा दी,
भैया के जोश से उठान लाई कविता।
सासू जो बोलेगी,
ताने जो गूँजेगे,
तकिया बनाय, आँसू पौंछेगी कविता!
रौब कोई झाड़ेगा,
शेर सा दहाड़ेगा,
खरगोश सी सीने में दुबकेगी कविता।
पेट भले भूखा हो,
जीवन चाहे रूखा हो,
जीवन को जीवन बनाय देगी कविता।
ए मैया, उपकार किया,
मुझ को पढ़ाय दिया,
मुश्किल की घड़ियों में साथ देगी कविता।
आँसू में गीत पलें,
लोरी में नींद जले,
जीवन को नदिया बनाय देगी कविता।