भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गाँव / कुँवर दिनेश

Kavita Kosh से
वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:31, 16 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कुँवर दिनेश }} Category:हाइकु <poem> 1 शान...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1
शान्ति आपूर,
अच्छा है शहर से
गाँव है दूर।
2
हाई-वे बना,
गाँव के हृत्तल में
भय-सा तना।
3
ठण्डी पवन,
गाँव की पहचान
चीड़ों का वन।
4
खुला जीवन,
खुली हवा गाँव में
खुला आँगन।
5
खड्ड का पानी –
कल-कल कहता
गाँव की बानी।
6
सबसे न्यारी
गाँव वाले घर में
फूलों की क्यारी।
7
घनी छाँव में
फुदकती चिरैया
मेरे गाँव में।
8
आ जाते तोते,
जब जब गाँव में
काफल होते।
9
गिद्धा व नाटी
सहज थिरकती
गाँव की माटी।
10
फ़ार्म-हाऊस:
शहर के लोगों का
तख़्ते-ताऊस!
-0-