भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गाँव की स्मृति / भारत भारद्वाज
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:48, 29 जुलाई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारत भारद्वाज |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
गरमी के दिनों में
बचपन में
माँ पंखा झलती थी
राजा-महाराओं
और परियों की कहानियाँ
सुनाया करती थी
तब गाँव में बिजली नहीं थी
अब शहर में मैं ख़ुद पंखा झलता हूँ
संघर्ष से जूझते लोगों की कहानियाँ पढ़ता हूँ
पंखा झलती माँ बराबर याद आती है
और शहर में बिजली है