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गीत 3 / सतरहवां अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्गलपुरी
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अर्जुन, ओकरा निशिचर जानोॅ
जे हमरोॅ महत्व नै जानै, से अज्ञानी मानोॅ।
तन के तेइस तत्त्व (तेरहवाँ अध्याय के नवाँ गीत को देखें) में व्यापित
हम सब मंे छी जानोॅ,
शास्त्र विरुद्ध तपावै तन
से हमरा तपवै मानोॅ,
सब में वासित परमेश्वर हम छी, हमरा पहचानोॅ।
अपन-अपन प्रकृति सन सब के
भोजन भी भावै छै,
वैसैं तीन प्रकार
यग-तप-दान वरत भावै छै,
पृथक-पृथक अब भेद सुनोॅ सब टा जीवन में आनोॅ।
जैसन लोग अहार करै
तैसन विचार तों जानोॅ,
जैसन लोग विचार धरै
व्यवहार तेहनके मानोॅ
कोय देव, कोय रक्ष के पूजै, कोय प्रेत के जानोॅ
अर्जुन, ओकरा निशिचर जानोॅ।