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गुमाएँ मैले / नकुल सिलवाल

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गुमाएँ मैले
………मात्र बचाएर स्वविचारलाई
कसैगरी पनि गुमन नदिएर
……….आफ्नो चेतनालाई
बरु हाडमासु निर्मित
……….यो अति माया र लोभलाग्दो
शरीरको सुन्दर स्वरुपलाई पनि मैले गुमाएँ