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गेंद / मनमोहन

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झन से गिरा शीशा

एक गेंद दनदनाती आई
खिड़की की राह मेज़ पर
टिप्पा खाया दवात
गिराई और
चट पट चारपाई के
नीचे भाग गई

एक जाना पहचाना सितार
कितने बरस बाद
मैं सुनता हूँ