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गोरी मोरी गेहुँअन साँप महुर धर रे / मदन वात्स्यायन
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गोरी मोरी गेहुँअन साँप महुर धर रे
गोरी मोरी गेहुँअन साँप...
फागुन चैत गुलाबी महीने
दोंगा पर आई जैसे चाँद
लहरे वात गात मद लहरे
गोरी मोरी गेहुँअन साँप
गोरे गात रश्मिवत पतरे
रेशमी केंचुल चमाचम
कबरी छत्र कुसुम चितकबरी
गोरी मोरी गेहुँअन साँप
टोना नैन तरंग अंग में
रोक ली रात मेरी राह
लिपट गई अंग अंग लपट सी
गोरी मोरी गेहुँअन साँप
अधर परस आकुल मन
मेरा आँगन घर न बुझाए
निशि नहिं नींद न जाग दिवस में
गोरी मोरी गेहुँअन साँप