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गोवर्धन पूजा / छत्तीसगढ़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हो~~~~~रे~~~~
पूजा परय पुजेरी के संगी (हे~~य)
अरे~रे~रे धोवा चाऊर चढ़ाई हे (हे~~य)
पूजा परत हे मोर गोवर्धन के ददा शोभा बरन नहीं जाए (हे~~)

हो~येह~~~~~
धमधा बांधेव पचेरी रे~ भेड़ा (हे~~य)
अरे गांठे दिये~~ हरेरईहा (हे~~य)
गाय केहेव धावर वो तेल पठरे दे घोरे रईहा (हे~~)

आरा~~रा~रा~रा~रा~रा~रा
हरदी पिसेंव कसौंदी वो दाई (हे~~य)
अउ घस घस पिसेंव आदा (हे~~य)
गाय केहेव धावर वो तें सोहई पहिरले सादा हे (हे~~)

हो~येह~~~~~
हरिना हरिना तें दिखे रे भेड़ा (हे~~य)
अरे~ हरिन सुवा के~~ चोंच ऐ (हे~~य)
हरिन बरोबर मोर भेड़ा दिखत हे ददा बरे सुरूज के जोंड़ ऐ (हे~~)

हो~~~~~ओ~ओ
कोन दिये रे दिन जलय गा संगी (हे~~य)
अउ कोन जलय सरी रात (हे~~य)
कोन दिया रे मड़नी में जलय कोन जले दरबार ऐ (अररारारा)

ऐ~~~~ऐह~~~~
सुरूज दिया दिन जलय रे भईया (हे~~य)
अरे चन्दा जलय सरी~ रात (हे~~य)
लक्ष्मी दिया तो मड़नी में जलय पुत्र जलय दरबार ऐ (अररारारा)

आरा~~रा~रा~रा~रा~रा~रा
पीपर पान ला लुही गा संगी (हे~~य)
अउ बोइर पान बनिहार (हे~~य)
मैं तो मानत हव देवरी ददा मोर भेड़न गे हे बनिहार (अररारारा)

बोल दे गोवर्धन भगवान की जय