भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ग्रीषम में तपै भीषम भानु,गई बनकुंज सखीन की भूल सों / दत्त

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:14, 6 अक्टूबर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दत्त }} Category:पद <poeM> ग्रीषम में तपै भ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ग्रीषम में तपै भीषम भानु,गई बनकुंज सखीन की भूल सों.
घाम सों बामलता मुरझानी,बयारि करै घनश्याम दुकूल सों.
कम्पत यों प्रगट्यो तन स्वेद उरोजन दत्त जू ठोड़ी के मूल सों.
द्वै अरविंद कलीन पै मानो गिरै मकरंद गुलाब के फूल सों.