भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ग्लोब / प्रकाश मनु

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:41, 16 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह=बच्च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गोल-गोल सा ग्लोब
बने हैं इस पर नदियाँ-पर्वत
तीन ओर से घिरा समंदर
छोटा-सा है भारत।

पापा कहते-देखो-देखो
इसमें दुनिया सारी,
बात समझ न आई, मिंकी
सोच-सोचकर हारी!