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घर / फ़्रेडरिक होल्डरलिन

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नाविक घर लौटता है
           सुखी मन से
लौटता है उन दूर-दूर के किनारों से
           शान्त बहते निर्झर के पास
           जहाँ उसने काटा था फ़सलों को ।
इसलिए अब मुझे भी लौटना चाहिए,
लेकिन मेरे पास क्या है काटने को
           अलावा दुःख के ?
घर के ऐ प्यारे किनारो,
           (जहाँ मैं कभी बड़ा हुआ था)
क्या तुम चुप कर दोगे
           प्रेम की यातनाओं को ?
ऐ मेरे बचपन के वन-प्रान्तो,
जब मैं लौटूँगा
क्या तुम मुझे दोगे
           फिर से
           शान्ति और विश्राम ?