भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घर / मरीना स्विताएवा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:45, 11 अप्रैल 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिन लोगों ने
       घर नहीं बनाए
        वे अयोग्य हैं
           इस धरती के

जिन लोगों ने
         घर नहीं बनाए
         इस धरती पर
         नहीं लौट कर
         आ सकते वे
         भूसे या भस्मी हित शायद
         कभी न धरती पर आ सकते

         मैंने भी घर नहीं बनाए
  
अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश कौशिक