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चन्दा के लिए / बरीस सदअवस्कोय / अनिल जनविजय

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चन्दा, मेरी चन्दा ! ज़रा देख मुझे सनम
डूबा हुआ हूँ मैं गहरे प्यार में तेरे
लेकिन इस रात को हुआ हमारा मिलन
ख़ूबसूरत, अजनबी संसार में मेरे

शान्त-नीले समुद्र पर उभरी तेरी छवि
और समुद्र की विशालता जैसे कहीं खो गई
किसी मौन एकान्त में भटके तेरी भवि
चुपचाप लहर को लहर की चपलता धो गई

गहरी नीली इस जलसतह के ऊपर
तेरी रूपहली चान्दनी छाया-सी हिल रही है
और वहाँ दूर आकाश के क्षितिज पर
चन्दा मेरी, तेरी स्वर्ण आभा खिल रही है।

1908
मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
         Борис Садовской
                 Луне

Луна, моя луна! Который раз
Любуюсь я тобой в заветный час!
Но в эту ночь мы встретились с тобой
В стране чужой, прекрасной, но чужой.

Над усмиренным морем ты всплыла.
Его громада нежно замерла.
Неясный вздох чуть бродит в тишине:
То тихо, тихо льнет волна к волне.
 
Над этой гладью в темно-голубом
Бежит твой свет серебряным столбом
И золотит небесные края.
О как прекрасна ты, луна моя!

1908